शुक्रवार, 17 अगस्त 2012

अंजाने रिश्ते


                         


कुछ रिश्ते बड़े अजीब होते हैं।
न चाहते हुए भी दिल के करीब होते हैं।
नाही इनमें वासना, नाही कोई उम्मीद
फिर न जाने क्यो हम इनको संजोते हैं।
कुछ रिश्ते बड़े अजीब होते हैं..............

हाथों की लकीरों में नहीं हैं
और नाही तकदीर में इनकी कोई ताकीद।
फिर क्यों उम्मीद से भरे होते हैं ये
कुछ रिश्ते बड़े अजीब होते हैं.........

 निहारिका श्रीवास्तव 

रविवार, 27 मार्च 2011

अहसास

जाने कैसी उलझनों मंे उलझी हुई हूं। बहुत कुछ दिमाग में चलते हुए भी लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। पूरे एक साल बाद बड़ी मशक्कत कर लिखने का हौंसला जुटा पाई हूं। जब तक लोगों के सम्पर्क में कम थी तो हर बात बड़ी आसानी से सबके साथ बांट लेती थी, लेकिन अब जाने कैसे डर से घिरी हुई हैै। जितने लोगों से जुड़ती जा रही हूं। उतनी कमजोर होती जा रही है। मैं कमजोर नहीं होना चाहती। शायद मेरी इस कमजोरी का एक बड़ा कारण हमारे समाज की सोच है। मुझे लगता है जाॅब कर रहीं अधिकतर लड़कियां इस अनुभव से जरूर गुजरी होंगी।

सोमवार, 22 मार्च 2010

अब भी संभल जाओ....जल संरक्षण


आज विश्व जल दिवस है। हममें कई ऐसे लोग होंगे जिनको ये नहीं मालूम होगा। तीन दिन पहले मुझे भी नहीं मालूम था। शनिवार को नेट पर बैठे-बैठे सर्चिंग कर रही थी तभी अचानक मेरी नजर इस ओर गई और मैं इससे संबधित डाटा देखने में जुट गई।

यूं तो मैं अक्सर ही घर में सबको पानी बचाने की सलाह देती रहती हूं। पर उस पर उतना अमल नहीं हो पाता जितना होना चाहिए। अब मन मैं चलते विचारों में वे सभी तस्वीरों साकार हो रही थी जो अक्सर जल संरक्षण के लिए बनी पेटिंग्स में देखा करती थी। हमारे घर में तो पानी की कोई कमी नहीं इसलिए शायद इसकी कमी का उतना एहसास नहीं कर सकती जितना कि वह जिसने इसे झेला है। हमारे यहां लाइट चले जाने पर पानी न आने की आहट ही सबको हिला देती है।

चलो आज आपको उन आंकड़ों से परिचित कराते हैं, जो आपको भी एक बार पानी की बचत के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दें।

पृथ्वी पर जल की मात्रा-
पृथ्वी की सतह पर पानी समुद्र, नदियों, झीलों से लेकर बर्फ से ढके क्षेत्रों के रूप में मौजूद है। पानी का सबसे बड़ा स्रोत समुद्र है जहां धरती का 97.33 प्रतिशत पानी पाया जाता है। समुद्र के पानी में अनेक प्रकार के लवण एवं खनिज घुले होते हैं जिसकी वजह से वह खारा होता है। भार के अनुसार समुद्र जल में 3.5 प्रतिशत खनिज होते हैं। हमारी धरती की सतह का 70.8 प्रतिशत भाग पानी से घिरा है। धरती के कुल पानी का 2.7 प्रतिशत से भी कम हिस्सा सादा जल है जो हमारे उपयोग का है। सादा जल का अधिकांश हिस्सा ध्रुवीय प्रदेशों में बर्फ के रूप में जमा है। दक्षिण ध्रुव में पानी की मात्रा कहीं ज्यादा है। यहां करीब एक करोड़ पचास लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बर्फ से ढका है। यह क्षेत्र पूरे भारत के क्षेत्रफल से लगभग पांच गुना ज्यादा है। 22 मार्च को विश्व जल दिवस है और इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है।
22 मार्च यानि विश्व जल दिवस। पानी बचाने के संकल्प का दिन। पानी के महत्व को जानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन। आंकड़े बताते हैं कि विश्व के 1.४ अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है। प्रकृति जीवनदायी संपदा जल हमें एक चक्र के रूप में प्रदान करती है हम भी इस चक्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। चक्र को गतिमान रखना हमारी जिम्मेदारी है, चक्र के थमने का अर्थ है, हमारे जीवन का थम जाना। प्रकृति के खजाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस भी हमें ही लौटाना है। हम स्वयं पानी का निर्माण नहीं कर सकते अत: प्राकृतिक संसाधनों को दूषित न होने दें और पानी को व्यर्थ न गंवाएं यह प्रण लेना आज के दिन बहुत आवश्यक है।
विश्व में पानी की अपव्ययता-
-मुंबई में रोज वाहन धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है।
-दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
-इजराइल में औसतन 10 सेंटीमीटर वर्षा होती है, इस वर्षा से वह इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात कर सकता है। दूसरी ओर भारत में औसतन 50 सेंटी मीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है।
-पिछले 50 वर्षों में पानी के लिए 37 भीषण हत्याकांड हुए हैं।
-भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोज ही औसतन चार मील पैदल चलती है।
-जल जन्य रोगों से विश्व में हर वर्ष 22 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
-हमारी पृथ्वी पर एक अरब 40 घर किलो लीटर पानी है। इसमें से 97.५ प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो खारा है, शेष 1.५ प्रतिशत पानी बर्फ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में है। इसमें से बचा एक प्रतिशत पानी नदी, सरोवर, कुओं, झरनों और झीलों में है जो पीने के लायक है। इस एक प्रतिशत पानी का 60 वां हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खपत होता है। बाकी का 40 वां हिस्सा हम पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ-सफाई में खर्च करते हैं।
-यदि ब्रश करते समय नल खुला रह गया है, तो पांच मिनट में करीब 25 से 30 लीटर पानी बरबाद होता है।
-बाथ टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 लीटर खर्च होता है।
-विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है।
-प्रति वर्ष 6 अरब लीटर बोतल पैक पानी मनुष्य द्वारा पीने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
-नदियां पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। जहां एक ओर नदियों में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए विशेषज्ञ उपाय खोज रहे हैं वहीं कल कारखानों से बहते हुए रसायन उन्हें भारी मात्रा में दूषित कर रहे हैं।
-पृथ्वी पर पैदा होने वाली सभी वनस्पतियों से हमें पानी मिलता है।
-आलू में और अनन्नास में 80 प्रतिशत और टमाटर में 95 प्रतिशत पानी है।
-पीने के लिए मानव को प्रतिदिन 3 लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी चाहिए।
-1 लीटर गाय का दूध प्राप्त करने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है, -एक किलो गेहूं उगाने के लिए 1 हजार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 1 हजार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 4 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार भारत में 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
समय आ गया है जब हम वर्षा का पानी अधिक से अधिक बचाने की कोशिश करें। बारिश की एक-एक बूंद कीमती है। पिछले सालों में तमिलनाडु ने वर्षाजल संरक्षण कर जो मिसाल कायम की है उसे सारे देश में विकसित करने की आवश्यकता है। हमें एक बार फिर मृत पड़े जलाशयों को जीवित करना होगा। इसके लिए हमें एकजुट होकर आगे आना होगा। अगर हमने ऐसा नहीं किया तो बहुत जल्द ही हमारी आंखों का पानी भी सूख जाएगा।

इसमें दिए गए आंकडे वाटर पोर्टल से लिए गए हैं।

रविवार, 7 मार्च 2010

अब और कब तलक


बाल विवाह जैसी कुप्रथा आज भी हमारे समाज में अपने पैर पसारे हुए है। इसका अंदाजा हम हाल ही में नेशनल फैमिली हेल्थ द्वारा किए गए सर्वे से लगा सकते हैं। इसकी रिपोर्ट के अनुसार तमाम प्रचार और अभियानों के बावजूद भारत में आज भी बढ़ी संख्या में बाल विवाह हो रहे हैं। इससे साबित होता है कि आज भी लोग कन्यादान के लिए बाल विवाह को ही सही मानते हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े-
यूनिसेफ द्वारा बाल विवाह की रोकथाम के लिए कलकत्ता में चल रहे सेमिनार (माय चाइल्डहुड, माय राइट््स) में जारी फैमिली हेल्थ सर्वे 2009 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लगभग 47.4 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में हो जाती है। यह भी सामने आया है कि बाल विवाह के मामले में बिहार पिछले दस साल में सबसे आगे वाले पायदान पर है। यहां लगभग 69 प्रतिशत शादी 18 वर्ष से कम उम्र में ही कर दी जाती हैं। राजस्थान राज्य बाल विवाह के मामले दूसरे स्थान पर है। यहां लगभग 65 प्रतिशत बाल विवाह के मामले सामने आए हैं। झारखंड इस मामले में तीसरे स्थान पर है यहां करीब 63 प्रतिशत मामले बाल विवाह के होते हैं। मध्य प्रदेश मेें 59 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 60 प्रतिशत विवाह कच्ची उम्र में कर दिए जाते हैं।
दस साल पहले क्या थी स्थिति-
यूनिसेफ के आंकड़ों ने इस बात की पुष्टि की है कि बाल विवाह आज भी बीते दिनों की बात नहीं है। दस साल पहले से आज तक बाल विवाह में कोई खास परिवर्तन देखनेे को नहीं मिला है। 1999 की रिपोर्ट बताती है कि बाल विवाह के मामले में 71 प्रतिशत के साथ बिहार तब भी अव्वल था। राजस्थान 68.3 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर और 64.7 प्रतिशत के साथ मध्य प्रदेश तीसरे स्थान पर था। उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा 64.3 प्रतिशत पर था। मध्य प्रदेश में अब जहां बाल विवाह की स्थिति में सुधार हुआ है वहीं पश्चिम बंगाल में बाल विवाह के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है। पश्चिम बंगाल में दस साल पहले बाल विवाह का प्रतिशत 45.9 था, अब यह आंकड़ा बढ़कर 55 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
क्या वजह है बाल विवाह की-
रिपोर्ट के अनुसार अशिक्षा, रूढि़वादी परम्पराएं कहीं न कहीं इसके लिए जिम्मेदार हैं। पहले सार्थक विरोध न होने के कारण बाल विवाह खुलेआम होते थे। बाल विवाह तो आज भी हो रहे हैं लेकिन चोरी छिपे। आज भी बिहार, राजस्थान जैसे प्रांतों में अक्षय तृतीया, बसंत पंचमी जैसे बड़े मुहूर्तों पर बाल विवाह होते हैं।
क्या है बाल-विवाह अधिनियम- बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1929 के अनुसार 21 साल से कम उम्र के लड़के व 18 साल से कम उम्र की लड़की का विवाह करना कानूनन जुर्र्म है। इस कानून के मुताबिक अगर इस आयु सीमा से कम उम्र के लड़के व लड़की शादी करते हैं तो उन्हें 15 दिन की जेल व 100 रुपए जुर्माना या दोनों सजा एक साथ दी जा सकती हैं। इसके अलावा धारा 4 के अनुसार मां-बाप या रिश्तेदार के दोषी पाए जाने पर 3 माह की जेल व जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती हैं।
बाल विवाह की कैसे कर सकते हैं शिकायत-
कोई भी जागरूक नागरिक बाल विवाह की शिकायत पुलिस थाने में कर सकता है। इसके बाद पुलिस आरोपियों पर मुकदमा चलाती है। दोषी पाए जाने पर अपराधियों को तीन माह की जेल व 1000 रुपए का जुर्माना हो सकता है।

शनिवार, 6 मार्च 2010

मासूमियत की हत्या कबतक


कुछ दिनों से मन में बड़ी उथल-पुथल चल रही है। थोड़ी निराशावादी होती जा रही है लेकिन मैं अच्छे से जानती हूं कि यह निराशा मेरे लिए कितनी खतरनाक है। चलो छोड़ो इन बातों में क्या रखा आपको एक बार फिर अनके जीवन के एक ओर अनुभव से परिचित कराती हूं। जो हमें इस बात का एहसास कराएंगा कि हमने अपनी सोच कितनी बदली है। हमारे समाज में क्या परिवर्तन आया है। हम कई जगह कितने कमजोर हो जाते हैं। चाहते हुए भी हमारे हाथ बंध जाते हैं। ये अिनुभव इसी का सबूत है।
बात कुछ दिन पुरानी है जब में अपने घर भिण्ड गई हुई थी, अब तो दादी के पास जाना ही कम हो पाता है। कभी-कभार जरूर शादी में शरीक होने चली जाती हूं और तभी दादी से मिलना हो पाता है। आज का किस्सा भी एक नाबालिक लड़की की शादी का है, जो वाकई बहुत मासूम लग रही थी लेकिन वो अपनी इस बाली उमर की खुशी में अपने भविष्य को समझ पाने में असर्मथ थी। वैसे मेरा शादी में जाने का बिल्कुल मन नहीं था लेकिन दादी की जिद के आगे मुझे झुकना ही थी। फिर उस छोटी सी दुल्हन को देखने की जिज्ञासा मुझमें भी थी। शादी में गई उस दुल्हन को भी देखा और उससे तसल्ली से बैठकर बात भी की। वो तो मुझे देखकर उतनी ही उत्सुक और अल्हड़ थी जितनी की दो साल पहले दस-ग्यारह वर्ष की उम्र में अपनी दीदी की शादी में थी। मेरे कुछ पूछने से पहले ही वह अपनी ससुराल के गुण गान करने में लगी रही। दीदी वो बहुत अच्छे हैं। मेरी सास मेरे लिए पहले ही बहुत सुन्दर साड़ी लाई थी। सुबह मेरी ननद का फोन आया था। उन्होंने मेरे लिए चढ़ाए की सारी साड़ी और ज्वेलरी ग्वालियर से ही खरीदी है। बहुत पैसा है उनके पास। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। दादी को पता था कि मै बाल विवाह के खिलाफ बोलती हूं इसलिए उन्होंने इस डर से की कहीं ये किसी से कुछ कह न दे जल्दी ही मुझे आवाज लगा दी। चलों राखी खाना खा के घर चलते हैं। मैं एकदम चुपचाप सिर्फ उस मासूम के बारे मैं सोच रही थी। तभी वहां औरतों में होती बातचीत से मुझे मालूम हुआ इस तेरह साल की लड़की का दुल्हा लगभग तेतीस साल का है। पर वो इन सबकी परवाह किए बगैर गहने पहनने की खुशी में पागल थी। अगले ही पल वहां बैठी औरतों के बीच बालिका-बधु सीरियल की चर्चा शुुरू हो गई। सभी महिलाएं सीरियल के एक-एक मुद्दे पर बात कर रहीं थी। लेकिन किसी का भी ध्यान उस सच की बालिका-बधु पर नहीं था जो कुछ ही दिनों में अपने इस बचपन से बाहर निकलकर जिम्मेदारियों के बोझ तले दबने वाली है। नाही किसी को ये ध्यान है कि ये मासूम इस कच्ची उम्र में किसी के घर का चिराग देने में अपनी जान भी दाव पर लगा सकती है। उसकी स्वयं की मां ने जब इस बात से आंख मीच ली है तो कौन है जो उसकी फिक्र कर सके। अब सोच रही थी कितना सार्थक है यह सीरियल?

क्रमशः....................

मंगलवार, 5 जनवरी 2010

नव वर्ष मंगलमय हो


नई किरण हो नया सबेरा।
नई उमंगे नया उजेरा
जीवन का हर दिन हो शुभदिन।
घर में हो खुशियों का डेरा।

बस इसी कामना के साथ सभी ब्लॉग दर्शकों को मेरी और से नव वर्ष की हार्दिक बधा

आपको अपनी एक और रचना से रूबरू कराती हूँ जो हाल ही में मन बैचैन होने पर लिखी।

किसकी खोज जो मिलता नहीं।
कौन है जो दिखता नहीं।
हर पल हर घडी जिसका इंतजार।
दुआओं में है वो हर बार।
कोई गैर नहीं वो तो है मेरा चैन
जिसे अक्सर हर कोई चाहता है।
वो तो है सुकून................

शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

ख़ुद को तलासती मैं

कभी कभी मन जब बहुत उदास हो जाता है तो यूं ही अपनी डायरी लेकर बैठ जाती हूं और कुछ पन्ने काले कर लेती हूं। ऐसी ही कुछ पलों में मन की पीडा को श्ब्दों में ढ़ाल दिया। अच्छा और सच्चा लगे तो जरूर बताना।
अंजानी सी मैं मतवाली।
सीधी-साधी मैं भोली-भाली।।
न समझूं ये जग की लीला।
छल प्रपंच और मन का कीला।।
चलती जाती अपनी धुन में।
नियति गति पर, ईश्वर की सुन में।।